Manibhadra Veer Jeevan Charitra
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Manibhadra Veer Jeevan Charitra इस जम्बूद्वीप के अन्दर दक्षिणार्ध भरतक्षेत्र है । उसके अन्दर मालव नाम का एक विशाल देश है । जहां पर कभी अकाल नहीं पड़ता है।यहाँ पर हर तरह की वनस्पतियां,औषधि,जडी बूटियाँ पैदा होती है ।मांडवगढ,नागेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ , अवंति पार्श्वनाथ तीर्थ ,और मक्सी पार्श्वनाथ, भोपावर तीर्थ श्री शान्तिनाथ तीर्थ यह पंचतीर्थ इस देश के श्रृंगार है। जिस देश के अन्दर मयणासुन्दरी सती पैदा हुई , विक्रमराजा जैसे महान सम्राट ने जैन धर्म की प्रभावना की,सर्वधर्मो का यथायोग्य सत्कार किया,दानशालायें,ज्ञानशालायें,धर्मशालायें,खुलवाकर जनता का प्रेम सम्पादन किया और विक्रम सम्वत् का आरम्भ किया वह अद्यापर्यन्त प्रचलित है । ऐसे मनोहर और पवित्र देश के अन्दर अवन्ति पार्श्वनाथ के नाम से अवन्ति नाम की नगरी है , अभी वर्तमान काल में इसका नाम उज्जैन कहा जाता है । इस उज्जैनी नगरी के अन्दर अनेक जिनालयो,उपाश्रयो,धर्मशाला,पाठशालाओं एवम् विद्यालय है।उसमें भी श्री अवन्ति पार्श्वनाथ मन्दिर मुख्य और ऐतिहासिक है। महाकाल का मन्दिर,अन्य शिवालयों और अन्य विष्णु मन्दिर इत्यादि दर्शनीय है। नगर के बा...