NAKODA BHAIRAV AARAADHANA
NAKODA BHAIRAV AARAADHANA
नाकोड़ा भैरव आराधना
भावो का प्रवाह जब छंद रुप होकर मनरुपी हिमालय से खलल खलल बहता है तब वह भक्त को भगवान से जोड़ता है । इन शब्दों में भक्त का अनुरोध होता है । भगवान से कुछ प्रार्थना होती है । ऐसी ही प्रार्थना पूजा व चालीसा तपागच्छ के जागति ज्योत जैसे कलिकाल में कल्पतरू अधिष्ठायकदेव श्री नाकोड़ा भैरवनाथ की नियमित भक्ति पाठ के लिये यह आनंद मंगलदायक विघ्न विनाशक चिंताचूरक महाचमत्कारी श्री भैरव चालीसा,पूजा का अदभूत शांतिदायक पाठ नियमित पाठ करने से सुख शांति समाधि की नई चेतना जागृत होगी ।
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