NAKODA BHAIRAV CHITRKATHA
NAKODA BHAIRAV CHITR KATHA
नाकोड़ा जैन तीर्थ अधिष्टायक श्री नाकोड़ा भैरव देव : सचित्र इतिहास कथाभैरव का मूल स्वरुप
भैरव एक अवतार हैं।उनका अवतरण हुआ था।वे भगवान शंकर के अवतार हैं। भैरव देव के दो रूप - 1) काला भैरव या काल भैरव (उनके रंग के कारण नाम काला भैरव पड़ा)।जिसने काल को जीत लिया वो काल भैरव हैं।आधी रात के बाद काल भैरव की पूजा-अर्चना की जाती है। श्री काल भैरव का नाम सुनते ही बहुत से लोग भयभीत हो जाते है और कहते है कि ये उग्र देवता है। लेकिन यह मात्र उनका भ्रम है। प्रत्येक देवता सात्विक, राजस और तामस स्वरूप वाले होते है, किंतु ये स्वरूप उनके द्वारा भक्त के कार्यों की सिद्धि के लिए ही धारण किये जाते है। श्री कालभैरव इतने कृपालु एवं भक्तवत्सल है कि सामान्य स्मरण एवं स्तुति से ही प्रसन्न होकर भक्त के संकटों का तत्काल निवारण कर देते है।हिन्दू देवी देवताओं में सिर्फ ऐसे दो देव माने जाते हैं जिनकी शक्ति का सामना कोई नहीं कर सकता । एक माँ काली और दूसरा भैरव देव।इसीलिए इनकी शक्ति साधना में प्रथम स्थान है।माँ काली के क्रोध को रोकने के लिए भगवान शिव ने बालक रूप धारण कर लिया था जो बटुक भैरव कहलाया और जो काल भैरव के बचपन का रूप माना जाता है। बटुक भैरव को काली पुत्र इसलिए कहा जाता है क्यूँकी ये शिव का रूप हैं और इन्होंने काली में ममता को जगाया था। काल भैरव के मुकाबले ये छोटे बच्चे हैं।इसीलिए इनमें ममत्व है जो माफ़ कर देते हैं लेकिन उग्र रूप के कारण ये रुष्ट बहुत जल्दी होते हैं। काल भैरव अकेले शांति में रहना पसंद करते हैं, बटुक भैरव भीड़ में।दोनों की भक्ति साधना बहुत जल्द फलदायी होती है। ये अतिवेगवान देव हैं।ये भक्ति के भूखे हैं।बटुक भैरव को ही गोरा भैरव कहा जाता है।
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